0 HINDI POETRY September 20, 2017 by Manish Raikwar · Published September 20, 2017 · Last modified March 30, 2021 धन का दंश कितना है श्रृंगार जनम मेंउदगार फिर क्यूँ है मन में, धन लालायित मनुष्यता काअंतिम जब आधार मरण में, दिशा विहीन मनुष्यता जबपशुता संग ही ओझल हो गयी, सिक्को की झंकार न जानेउन्नति का अभिशाप...
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